ससुर का नाती
फोन में रहता आँख गढ़ाये,
हमको देखो ‘पॉप‘ बुलाये|
चायनीज, नूडल बोल के देखो,
जाने का–का कीड़े खाए|
बाल बनावट आढे–टेढ़े,
काम–धाम कछु जानत न|
लाड़ साब के जैसे घूमे,
ससुर का नाती सुधरे न||
ससुर का नाती
फोन में रहता आँख गढ़ाये,
हमको देखो ‘पॉप‘ बुलाये|
चायनीज, नूडल बोल के देखो,
जाने का–का कीड़े खाए|
बाल बनावट आढे–टेढ़े,
काम–धाम कछु जानत न|
लाड़ साब के जैसे घूमे,
ससुर का नाती सुधरे न||
छूने को अभी आसमान बाकी है,
उड़ने को अभी अरमान बाकी हैं।
दिल को भर लो उम्मीदों से तुम,
कि फलक पर छोड़ने अभी निशाँ बाकी हैं।।
हैं करने को बहुत काम,
देने हैं बहुत से इम्तेहान|
सोचो न अभी से परिणाम की तुम,
अभी तो बहुत से मुकाम बाकी हैं||
है आती पतझड़ के बाद बहार,
फाल्गुन में मीठी फुहार|
गिनों न उत्सव के पल तुम,
अभी तो वो सुहानी शाम बाकी है|