मेंढक और मछली
सुनो अनोखी एक कहानी
जिसका मुख्य पात्र है ‘पानी’
एक बार मेंढक और मछली
ने आपस में चर्चा कर ली
मछली बोली, सुनो ऐ मेंढक
देखो झीलों से सागर तक
तुमने कितना गंद मचाया
कीचड़ सा पानी है बनाया
मेंढक बोला, मछली बहना
मानो तुम मेरा यह कहना
इसमें मेरा दोष नहीं है
गुनहगार दूजा कोई है
वह जिसको कहते हम ज्ञानी
सबसे बुद्धिमान है प्राणी
बात ज़रा सी समझ न पाया
पृथ्वी को जिसने नहलाया
उस पानी का रखा न ध्यान
सूख रहे खेत खलिहान
मछली को यह बात न भाई
नर से कहा, ध्यान दो भाई!
पढ़े लिखे हो, समझदार हो
क्यों रखते नहीं साफ़ सफ़ाई?
पानी की हर बूँद बचाओ
वृक्ष लगाओ, बाग़ सजाओ
झीलें नदियाँ साफ़ कराओ
हरियाली, ख़ुशहाली लाओ
बूँद बूँद से भरकर सागर
पानी का अमृत बरसाओ