छूने को अभी आसमान बाकी है,
उड़ने को अभी अरमान बाकी हैं।
दिल को भर लो उम्मीदों से तुम,
कि फलक पर छोड़ने अभी निशाँ बाकी हैं।।
हैं करने को बहुत काम,
देने हैं बहुत से इम्तेहान|
सोचो न अभी से परिणाम की तुम,
अभी तो बहुत से मुकाम बाकी हैं||
है आती पतझड़ के बाद बहार,
फाल्गुन में मीठी फुहार|
गिनों न उत्सव के पल तुम,
अभी तो वो सुहानी शाम बाकी है|